۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
مولانا علی حیدر فرشتہ

हौज़ा/मरजईयत के मुखालिफ दुश्मनों ने इबादत खाने हुसैनी के अंदर उलेमा और मराजये इकराम की फोटो के साथ घिनौनी हरकत की है जिसकी हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं,यह एक असहनीय अपराध क्या है, समाज में नफ़रत पैदा करने और दुश्मनी कराने की एक नापाक साजिश है, जिसमें दुश्मन कभी कामयाब नहीं होगा

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम मौलाना अली हैदर फरिश्ता, अध्यक्ष मजमाये उलेमा और खोतेबा हैदराबाद तेलंगाना इंडिया ने अपने एक निंदनीय बयान में कहा कुरान का वाज़ेह ऐलान है,
(अल्लाह के बंदों में खुदा का खौफ और तक्वा रखने वाले तो बस उलेमा है) सूरह फातिर अयेत नं. 28
हाल ही में शहरे हैदराबाद डेक्कन (तेलंगाना) भारत के एक प्राचीन घनी आबादी वाले दारू शिफा में स्थित इबादत खाने हुसैनी का एक प्राचीन मस्जिद है। इस मस्जिद के अंदर उलेमा की फोटो लगी हुई है, मगर कुछ दीन के दुश्मनों ने दुष्ट और शैतानी हरकतों से विश्वासियों के दिल को दुखी किया है, जिसकी वजह से शिया राष्ट्र में तीव्र शोक और क्रोध की लहर है।
यह कैसे इमामत का अकिदा रखने वाले शिया हैं जो इमाम हज़रत सादिक अलैहिस्सलाम की सीरत और तलीमात कि पूरी तरीके से खिलाफ काम करते हैं।
यह भी नहीं जानते कि इमाम सादिक न केवल गैर-शिया विद्वानों का सम्मान करते थे बल्कि उनसे मित्रता भी करते थे। इनकी मौत पर मरसिया पढ़ते थे लोगों ने पूछा कि मौला आप दूसरे मज़हब के गुरु पर रो क्यों रहे हैं? इमाम ने जवाब दिया कि मैं उसको शिक्षा की वजह से दोस्त रखता था,
मरजईयत के मुखालिफ दुश्मनों ने इबादत खाने हुसैनी के अंदर उलेमा और मराजये इकराम की फोटो के साथ घिनौनी हरकत की है जिसकी हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं,यह एक असहनीय अपराध क्या है, समाज में नफ़रत पैदा करने और दुश्मनी कराने की एक नापाक साजिश है, जिसमें दुश्मन कभी कामयाब नहीं होगा
यह याद रहे,कि इबादत ख़ाने हुसैनी वक्फ की संपत्ति है जिसकी एक औपचारिक और कानूनी रूप से पंजीकृत प्रबंधन समिति है।
बिना प्रबंध समिति की अनुमति के कोई भी कार्यक्रम नहीं हो सकता, और बिना कमेटी के अनुमति के कोई भी चीज वहां तोड़फोड़ नहीं की जा सकती
दुश्मन यह जान ले कि अपनी साजिश में कभी कामयाब नहीं हो सकता हम शहर को अस्थिर करने की किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे और उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे।

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